"मंजिल के उस पार"

अासमाँ के कद से ऊँचें हैं हौंसलें,
और सफर में मुिश्कलें हज़ार,
पर कदम जो चल पड़े है अपने,
अब तो थमेंगे मंज़िल के उस पार

डर अब जब भी खटकाएगा,
हमारे मन का कोई भी द्वार,
सामना उस से कर जाऐंगें,
मज़बूत इरादे हैं पहरेदार

लाख मिले ताने और तंज़,
चाहे लोग दिखाऐ नीचा हर बार,
हँस ले वो जो हँसतें हो हमपे
इन लोगों की परवाह छोड़ो यार,
अपने सपनो की उड़ान हैं ऊँची
और लोग ?
उनसे मिलेंगे मंज़िल के उस पार

By

Geetika Singhal
(CA Final Student)
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